उत्तर प्रदेश के अनुत्तरित प्रश्न
विद्या भूषण रावत
मैंने पप्पू के देखकर कहाँ के क्या भारत में अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि भारत सरकार और यहाँ के वैज्ञानिक बिना बात के इतनी म्हणत कर रहे हैं यदि प्रभु या भगवान के इतनी कृपा बरस जाए तो लोग भूखे क्यों मरे, उनको बीमार होने की नौबत क्यों आये और बच्चे अनाथ क्यों बने. कहाँ वो दयालु भगवान् जो इतनी निर्दयता बरसा रहा है. पूरे शो में एक बात साफ़ दिखी, के राज कुमार प्रजापति के पास सबसे ज्यादा आने वालो में महिलाएं हैं. बेचारी आपने बाल खोल कर रोटी हैं और जमीन पे लोटती हैं और पप्पू उनके दुखड़े सुनकर प्रभु का आशीर्वाद उनको देता है. हाले लुइया.
इसका दुखद पहलू यह भी है के धर्म के झंडे को आगे बढ़ने के लिए धर्मान्धता का सहारा लिया जा रहा है. ऐसे अवध में जहाँ सामंती परम्पराए रही हो और हर मजार पर भूत भागने का इंतज़ाम हो, पप्पू ने राम लीला के मुकाबले में यीसुं महिमा को खड़ा कर दिया. लोगो को बरगलाने में धर्म के बाजीगरो का अतुलनीय योगदान है. पप्पू या निर्मल जैसे बाबा जब देश के लोगो का ध्यान आकर्षित करते हैं तो येही पता चलता है के देश किस जगह पर है. क्या अब समय नहीं आ गया के धर्म के धंधे बाजो का न केवल पर्दाफास किया जाये बल्कि कानून के शिकंजे में उनको डाला जाए. पप्पू, निर्मल या किसी और बाबा की जगह टी वी स्टूडियो में नहीं अपितु तिहर जेल में होनी चाहिए और चमत्कारों के इस धंधे को अब धर्म के स्वतंत्रता के नाम पर सही नहीं ठहराया जा सकता. भारत सरकार को अन्धविश्वास निर्मूलन कानून बनाकर ऐसे सभी कार्यक्रमों पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाना चाहिए और अपने देश में चिकित्सा प्रणाली को मज़बूत करना पड़ेगा ताकि सस्ती चिकिस्ता लोगो को मिल सके और वो इन टोने टोटके करने वाले ठगों के पास ना जाएँ.
बड़े आश्चर्य की बात है,की बात है के पप्पू के भक्तो में कुच्छ नागालैंड और अन्य स्थानों के लोग भी दिखाई दिया. भक्त लोग हाथ ऊपर करके प्रभु की जय जेकर करते हैं. पप्पू को जब बताया गया के यह कार्य गलत है तो उनका कहना था के वो तो केवल लोगो के सेवा कर रहे हैं और उनके अन्दर कुच्छ शक्ति नहीं है, सारा खेला तो प्रभु का है. लेकिन, पूरे कार्यक्रम को देख कर नज़र आ गया के पप्पू किसी अच्छे खेल के खिलाडी हैं. हिंदुत्व के बाबाओ की तरह, इसाई बाबाओ ने कोई कमी नहीं की है जनता को ठगने और लूटने में. ऐसे सवालो को सांप्रदायिक नहीं वैज्ञानिक नज़रिए से देखने की जरुरत है और इन ठगों को सीधे सीधे हवालात में भेजने की जरुरत है क्योंकि ईष्वर का आशीर्वाद के दावा करने वाले ऐसे बाबा दुखी लोगो की रब को पकड़ लेते हैं और उनको मानसिक, शारीरिक और अनेक प्रकार से शोषित भी करते हैं. इसलिए जरुरी है समाज में वैज्ञानिक चिंतन को लेन के और धर्म के मत्थाधीशो से सीधे टक्कर लेने की. ठग बाबाओ की करनी से हजारो महिलाओ को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा है. उनपर डायन होने के आरोप लगते हैं और यह बाबा ऐसी घटनाओ का पूरा लाभ लेते हैं. गरीब आदमी से पैसे नहीं मांगे जाते लेकिन लोग डर से अपना सब कुच्छ दे देते हैं और इस प्रकार मानसिक भय से ग्रस्त होकर उनकी जिंदगी हमेशा के लिए तबाह हो जाती है.
बाबा का दावा है के उनकी कृपा से लोग ठीक हो रहे हैं. एक महिला ने कहा के उनको बच्चा नहीं हो रहा था और वोह बाबा के पास आयी और बच्चा हो गया. बाबा ने यह भी कहा के एक व्यक्ति को गले का कैंसर था और उन्होंने टेलीफोन पर दुआ की और वोह बिलकुल ठीक हो गया. अब ऐसे कहानी कहने वालो की कमी देश में नहीं हैं. मैं तो अयोध्या और फैजाबाद की दरगाहो में खूब घूमा हूँ और ऐसे दावा करने वाले बहुत हैं जो दरगाह में आ कर 'ठीक' हो गए. एक दरगाह में तो मैंने लोगो के बाकायदा लिखित अर्जियां भी देखि जो बाबा के नाम पर थी के उनके काम बन जायेंगे तो वोह चढ़ाव चढाने आयेंगे.
यह सब हमारे समाज की और देश की असलियत बताते हैं के कैसे धर्म के धंधे बाजो ने वैज्ञानिक उपलब्धियों का सहारा लेकर गरीब जनता को मूर्ख बना शुरू किया है. ऐसे घटनाओ को रोकना होगा और धर्म की आड़ में ऐसे कामो को बढ़ने वालो के विरुध्ध कार्यवाही करनी पड़ेगी. उत्तर-प्रदेश के महान नेताओ को अभी बहुत से सवालो के उत्तर ढूँढने पड़ेंगे के क्यों लोग ऐसे बाबाओ के शरण में जा रहे हैं.. एक बात तो साफ़ है के यदि डॉक्टर की जगह पर सफाई कर्मचारी आपका इलाज़ करेगा तो लोग अस्पताल क्यों जाएँ, वोह तो बाबा के पास ही जायेंगे. उम्मीद है अखिलेश जी कुच्छ सुन रहे होंगे और कार्यवाही करेंगे.