Wednesday 29 August 2012


फैसलों पे गर्व की घडी
विद्या भूषण रावत

उच्चतम न्यायलय ने अजमल कसब की याचिका को खारिज कर उसकी सजा को बरकरार रखा है क्योंकि कसब पर भारत के विढ़द्ध युध्ध छेड़ने का आरोप है और मुंबई के २६ नवम्बर के भयावह काण्ड का वह सरगना था. लेकिन आज ही गुजरात की विशेष अदालत का जो फैसला आया है वोह हिंदुत्व के माठाधीशो को भी मौत के दरवाजे तक पहुंचा सकता है. गुजरात के विशेष अदालत ने बाबु बजरंगी और माया कोदनानी को नरोदा पाटिया हत्याकांड का दोषी पाया है जिसमे १०० से अधिक मुसलमानों का कत्लेआम किया गया. यह घटना मानवता के नाम पर एक कलंक था. आश्चर्य की बात यह की माया मोदी के सबसे नज़दीक लोगो में शामिल थी और उन्हें बच्चो और महिला विकास का मंत्रालय सौंपा गया. ऐसी महिला जिस पर महिलाओ और बच्चो के खून का इलज़ाम हो हिंदुत्व के 'नैतिक' धरातल पर ही फिट बैठती हैं. आज भाजपा जैसी पार्टियाँ जो नैतीकता का लबादा ओढ़े रहती है और संसद तक नहीं चलने देती उसके इतने नेता देश में दंगा फ़ैलाने के और क़त्ल के आरूपों में घिरे हैं लेकिन वहां उनकी नैतिकता धरी की धरी रह जाती है. हिंदुत्व के मठाधीश और उनके चमचे लगातार झूठ बोलकर और मीडिया के जरिये अपने कार्य कर रहे हैं. वैसे भी उनकी राजनीती का मुख्या बिंदु परदे के पीच्चे के काम हैं.

अभी देशद्रोह और देश के विरुध्ध युद्ध छेड़ने की बात हो रही थी. कसब ने देश के विरुद्ध जंग छड़ी और अंत में सुप्रेमे कोर्ट ने उसे माफ़ नहीं किया. नरेन्द्र मोदी और उनके भक्तो ने गुजरात में नो नरसंहार किया वोह माफ़ नहीं किया जा सकता और एक कौम के खिलाफ जहर उगलने से लेकर उसका पूरा खत्म करने के प्रयास किये. देश की एक बड़ी आबादी के खिलाफ दुष्प्रचार क्या देश के विरुद्ध जंग नहीं है? आज हिंदुत्व के सौदागरों से पूछना पड़ेगा के गुजरात और अन्य जगहों पे आग लगाकर क्या वे देशद्रोह का कार्य नहीं कर रहे हैं. 

उम्मीद है के माया कोदानी जैसी महिलाएं हमारे समाज का रोल मॉडल नहीं बनेंगी और उनको भारत की न्याय प्रणाली उसी जगह पर भेजेगी जहाँ कसब बैठा है ताकि दोनों प्रायाषित कर सकें के आज के दौर में भारत की मजबूती का रास्ता पाकिस्तान की मजबूती से भी है और देश में विविध लोगो के साथ रहने में भी है. उम्मीद करते हैं के यह मामले न्याय प्रक्रिया के झमेलों में नहीं फंसेंगे और जल्दी से अपने अंजाम तक पहुँच जायेंगे.  भारत की एकता यहाँ रहने वालो के सामाजिक न्याय और आपसी सौहार्द से बनेगी और वोही २१वी सड़ी के भारत को मज़बूत करेगी. हमारे आपस के रिस्तो को मज़बूत करने का एक ही उपाय है न्याय और कानून का सख्ती से पालन. सांप्रदायिक और जातिवादी शक्तियों को न केवल राजनैतिक तरीके से उखड फेंका हर भारतीय का कर्तव्य है अपितु कानूनी तौर पैर भी उनके अजेंडे का खात्मा करना होगा ताकि एक मज़बूत सभ्य और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील भारत सभी को साथ लेकर आगे बढ़ सके नहीं तो हमारे समाज की मनुवादी तकते अपने राजनितिक स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक जहर फ़ैलाने में कामयाब हो जाएँगी और इसका सबसे बड़ा नुक्सान हमारे अपने समाज को ही होगा. माया कोदनानी जैसी महिलाएं हमारे समाज के लिए कलंक हैं और शर्म हैं और उनके साथ कोई हमदर्दी नहीं होनी चाहिए उन्हें कानून के उन्ही मापदंडो से गुजरना चाहिए जो कसाब या किसी और के लिए हैं.