पन्ना के मंदिरों के बेशकीमती जेवर सरकारी मालखाने से गायब |
धीरज चतुर्वेदी छतरपुर (मप्र), 24 सितंबर। हीरा नगरी पन्ना के मंदिरों से बेशकीमती खजाना सरकारी मालखाने से गायब हो चुका है। पन्ना के महाराज लोकेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और एक पूर्व मंत्री के इशारे पर कलक्टर ने करीब पांच अरब का खजाना गायब कर दिया। इन आरोपों से सनसनी फैल गई है और मामले की सच्चाई के लिए सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है। पन्ना जिला मुख्यालय के प्राचीन मंदिरों के सरकारी मालखाने में 2007 में जमा बेशकीमती जेवहरात के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। तब साधारण छोटे तालों में बंद पेटियों में से किसी की सील टूटी मिली थी, तो किसी ताले की चाबियां गायब थीं। जब इन पेटियों को तोड़ा गया, तो पिछलेसत्यापन की अपेक्षा से नाममात्र के जेवहरात निकले थे। तत्कालीन कलक्टर और मंत्री कुसुम मेदहले की उपस्थिति के बीच यह सत्यापन जरूर हुआ था, पर इसे औपचारिक माना गया, जो विवादो में फंस गया था। कारण यह था कि संपत्ति के सत्यापन के पिछले दस्तावेजों से मिलान ही नहीं किया गया था। पन्ना के जुगल किशोर मंदिर, बलदेव मंदिर, जगन्नाथ स्वामीजी, श्रीरामजानकी मंदिर सहित अन्य मंदिरों की संपत्ति का सबसे पहले 1964 में सत्यापन किया गया था। 1962 में चीन युद्ध के दौरान मंदिरों की करोड़ो की बेशकीमती संपत्ति को राजाओ से लेकर सरकारी मालखाने में जमा करा लिया गया था। 2007 में संपत्ति के सत्यापन के दौरान भी पन्ना रियासत के महाराज लोकेंद्र सिंह ने इस सत्यापन को दिखावटी बताते हुए सरकारी और जनप्रतिनिधि की नियत पर सवाल खडेÞ किए थे। सिंह का आरोप था कि राजशाही खत्म होने के बाद मंदिरों की अकूत दौलत को जिला कोषागार में जमा कराया गया था। जिसकी एक सूची भी बनाई गई थी। इसी सूची के आधार पर मंदिरों की संपत्ति का सत्यापन कराने की सिंह ने मांग की थी। तब सवाल उठा था कि संपत्ति की पुरानी सूची क्यों नहीं सार्वजनिक की गई और संपत्ति का सत्यापन करते समय तिजोरियों और पेटियों की चाबियां क्यों गायब हो गई? लोकेंद्र सिंह का आरोप था कि जुगलकिशोर की मुरलियां, हीराजड़ित मुकुट, हीरा जड़ित गुलबंद, जुगलकिशोरजी की पोशाक और राधिकाजी की करधनी व सोलह शृंगार गायब पन्ना के मंदिरों के 2007 में संपत्ति सत्यापन के समय गोलमाल होने की आंशका को कलक्टर के बयानों ने उलझा दिया था। जब पत्रकारों ने पूर्व सूची से मिलान न करने के संदर्भ में सवाल पूछे, तो कलक्टर दीपाली रस्तोगी का कहना था कि पहले की सूची अपठनीय है। मगर इस सूची को जब पत्रकारों ने देखा, तो वह स्पष्ट अक्षरों में थी और पढ़ी व समझी भी जा सकती थी। इसके बाबजूद यह मामला गोलमाल कर दिया। तब ही आशंका जताई गई थी कि इस सत्यापन में गड़बड़ जरूर है। पन्ना के मंदिरों की अकूत दौलत के गायब होने का मामला फिर गरमा गया है। पिछले दिनों पन्ना रियासत के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह ने यह आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है कि पन्ना के मंदिरों से तत्कालीन कलक्टर दीपाली रस्तोगी ने पांच अरब का खजाना लूट लिया है। यह संपत्ति मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री कुसुम महदेले के इशारे पर गायब की गई है। मंदिरों का खजाना कहां है, इसकी कोई जांच नहीं कराई गई। यह मामला गंभीर है और राज्य सरकार को शक के कटघरे में खड़ा करता है क्योंकि पूर्व में सत्यापित संपत्ति की सूची से दोबारा सत्यापन के समय मिलान नहीं किया गया। जब सरकारी मालखाने में संपत्ति जमा थी, तो उन तिजोरियों और पेटियों की चाबियां कहां गायब हो गई? साथ ही इन तिजोरियों की सील कैसे टूटी पाई गई। अब तो कहा जा रहा है कि पूर्व सत्यापन की सूची भी गायब करा दी गई है। सवाल उठ रहा है कि किसके इशारे पर मंदिरों का खजाना लूटा गया है। पन्ना रियासत के वंशज जब इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं, तो सरकार जांच से क्यों हिचकिचा रही है? अरबों रूपए की संपत्ति गायब होने का यह मामला आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए गले की फांस बन सकता है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजा पटैरिया ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। Jansatta, dated September 25th, 2011 |
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