Thursday 12 April 2012

एक नए क़ानून के जरुरत जो देश में अन्धविश्वाश बढ़ने वालो पर रोक लगाए

विद्या भूषण रावत

क्या हमारे न्यूज़ चैनलों को इस बात की जांच पड़ताल नहीं करनी चाहिए के कौन से स्पोंसर कार्यक्रम दिखने चाहिए और कौन से नहीं. जब भी कोई न्यूज़ आइटम प्रायोजित होता है तो उसमे लिखा रहता है के यह कार्यक्रम प्रायोजित है और इस में किये जा रहे दावो से चैनल का कोई लेना देना नहीं है और यह दावे अभी तक सिद्ध नहीं हो पाए हैं. दुखद बात यह  है के नैतिकता का लबादा ओढ़े यह चैनल आज भारत में सबसे बड़े भ्रस्ताच्चार को बाधा रहे हैं. भ्रस्थाचार के यह दुकान नैतिकता और भारतीय संस्कृति के नाम पर चलती है और करोडो लोगो को चुना लगाकर उन्हें अदृश्य शक्तियों तक पहुँचाने का दावा करने वालो की कलई अब खुलनी चाहिए. लेकिन वोह लोग जो इन खतरनाक खिलाडियों की काली कमी से अपने चैनल चला रहे हैं और लोगो को अंधविश्वासों के ऐसी गलियों में धकेल रहे हैं जहाँ से सुरक्षित निकलने का कोई रास्ता नहीं है, उनके विरुध्ध कार्य वही होनी चाहिए. 

आज देश में तर्क और मानवता को बढ़ने वालो के खिलाफ कार्यवही हो रही है. धर्मनिरपेक्षता के जिस भोंडे स्वरुप को देश में बढाया जा रहा है वोह भारत रास्त्र की नीव को खोखला कर देगा. धर्म के नाम पर हर पाप और पाखंड को संस्कृति और परंपरा का नाम देकर हमारे राजनेता आज हमारे सेकुलर संविधान की धज्जियाँ उखाड़ रहे हैं. भारत में इस वक़्त दकियानूसी, परम्परावादी ताकते इकठ्ठा हो कर हिंदुत्व के राजनैतिक और सांकृतिक अजेंडे पे काम कर रही है और उसका मुकाबला करना है तो आजम खान और इमाम बुखारी जैसे लोगो को गले लगाकर नहीं अपितु हमारे सेकुलर समाज को बना के हो सकता है. संघ की तरह, मुसलमानों को धर्म में डूबकर उनके आर्थिक सामाजिक हालातो से दूर रखने वाली ताकते काम कर रही हैं और हमने दुनिय्भर में ऐसी ताकतों को देखा है जो इस्लाम खतरे मैं है का नारा देखर मुसलमानों को उनके अपने हालात सुधरने में कोई मदद नहीं करती.

हम सरकार से मांग करते हैं के वोह एक ऐसा कानून बनाये जिसमे अन्धविश्वास फ़ैलाने वाले और अवैज्ञानिकता का प्रचार करने वाले ध्होंगी पाखंडी बाबाओ के खिलाफ कार्यवाई करे. हम भारत के लोगो से उम्मीद करते हैं के वोह इन खतरनाक बाबाओ और धर्म गुरुओ के चक्कर में न पड़े. इतने सर्वशक्तिमान यह बाबा जब बीमार होते हैं तो इनका इलाज दुनिया के सबसे बेहतरीन अस्पतालों में होता है. क्या यह बाबा बता सकते हैं यह कब तक जियेंगे और जनता का खून चूसते रहेंगे. क्या यह बता सकते हैं के भारत का संविधान कब से लागू होगा ताकि यह जेल के सींखचो के पीछे हों. आज कोई व्यक्ति अगर लोगो को आधुनिक दवाइयां खाने से रोकता है तो उस पर आरोप लग सकते हैं लेकिन यह लोग जनता को धोखे में रखकर अपनी चमत्कारी शक्तियों को प्रदर्शित कर रहे है जिसमे हमारे न्यूज़ मीडिया की पूरी भूमिका है.

हम इस भूमिका की कड़ी निंदा करते हैं. इसका मतलब साफ़ है के देश को अंधरे में धकेल कर यह लोग अपनी टी आर पी बढ़ाना चाहते हैं. अब समय है प्रेस कौंसिल इस बात का धयान रखे के यह चैनल क्या कुतर्क और अवैज्ञानिकता को बढ़ावा नहीं दे रहे. यदि ऐसा है तो अब समय आ गया है की न्यूज़ का दानदा करने वालो के विरुध्ध सख्त कार्यवाही हो. पत्रकारिता अब एक मिशन के तहत हो रही है जो हिंदुत्व के अजेंडे को देश में लागु कर सके और दलित विरोधी और बदलाव विरोधी सारी उर्जा को खत्म कर सके. देश को अँधेरे की और लेजाने वाली शक्तियों के खिलाफ इकठ्ठा होने की जरुरत है. हिंदुत्व के इस खेल को समझने की जरुरत है और उसको बेनकाब करने की जरुरत है. हमारी राजनैतिक भाषा आज हमारी सांस्कृतिक भाषा निर्धारित कर रही है और इसी कारन हमारे तथाकथित लोग भी भी भारतीय संस्कृति को बेचना शुरू किये हैं. राजनेताओ की छोटी महत्वाकांक्षाओ के चलते ऐसे बाबाओ को बहुत महत्व मिल चूका है और उन्हें पता है की उन पर कोई हाथ नहीं लगा सकता. लेकिन आज सभ्य समाज का हर नागरिक अपने आप में तलवार है और अपने मीडिया पैदा कर रहा है इसलिए उसकी ताकत को समझाना पड़ेगा. पत्रकारों को पत्रकारिता करनी पड़ेगी और ऐसे ढोंगी पाखंडी बाबाओ के खिलाफ जंग छेदनी पड़ेगी. हम लोग तो लड़ेंगे और लड़के जीतेंगे भी क्योंकि यह जनता है सब जानती है.. संविधान की धारा ५१ का सम्मान करते हुए हमारी संसद को अपनी प्रतिबद्धता देश में वैज्ञानिक चिंतन के बढाने की और करनी होगी और ऐसा एक सख्त क़ानून बनाना होगा की देश में आध्यात्म के नाम पे खुल रही दुकानों पे रोक लग सके. उनके पीछे की ताकतों को समझना होगा और ऐसे चमत्कारों और दैविक शक्तियों का दावा करने वालो को एक वैज्ञानिको के टीम से प्रमाणपत्र लेना होगा अन्यथा उनके दावो को धोखा और फ्राड माना जाना चाहिए और उनके खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी  का मुक़दमा चलाना चाहिए.

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