विद्या भूषण रावत
नरेन्द्र मोदी और हिंदुत्व भारत की जातिवादी वर्णव्यस्था को मजबूत करने वाली ताकतों का नाम है और त्रासदी देखिये के जिस मंडल के विरोध में हिन्दुत्व की राजनीती चली और जिस जातिवाद को लोकतंत्र का दुश्मन बताया गया उसी जाति और उनकी महानता के दुहाई देकर यादवो के वोट लेने के प्रयास किये जा रहे हैं. हर स्थान पर दलित, पिछडो को उनके भगवानो के लिंक देकर हिंदुत्व के साथ जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं. सवाल यह है के क्या भारतीय फासीवाद संस्कृति और शुद्रो के कंधो के सहारे लाने की तैय्यारी चल रही है ? सवाल यह है के क्या आरक्षण विरोधियों को शुद्र दलित माफ़ कर देंगे ? क्या जिन्होंने मंडल की जगह कमंडल लाया उनका समूचा सफाया नहीं करना चाहिए ? दलित पिछडो के साथ धोखेबाजो को क्या माफ़ कर् दोगे ? हिंदुत्व की पूरी राजनीती ब्राह्मणवादी सल्तनत को मज़बूत करने की राजनीती है ? ये बाबाओं की राजनीती, पुरोहितो की राजनीती, पूंजीपतियों की राजनीती है ? क्या इन ठगों को माफ़ कर् दोगे ? २०१४ बहुत महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता पर बड़ी जिम्मेवारी है ?
वंशवादी राजनीती का विरोध करने वाले ये बताएं के राम किस आधार पर अयोध्या के राज बने ? वोह ये बताएं के राजस्थान के महारानी के अन्दर कौन सी योग्यता है ? वोह यह बताएं के हिंदुत्व और हिन्दू धर्म की कोई ऐसी परम्परा जहाँ वंश न रहा हो ? क्या भारत का कोई व्यापारिक घराना बिना वंश के चल रहा है ? क्या भारत का कोई फिल्म स्टार बिना वंश के है ? वंशवाद राजनीती में नहीं चल सकता क्योंकि कौन अच्छा है और कौन बुरा यह मोदी के झूठ और हिटलरी अहंकार नहीं अपितु भारत की जनता बताएगी। हम जानते हैं के कांग्रेस ने इतने वर्षो में हिंदुत्व के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की है और बहुत ही ढुलमुल रवैया अपनाया है. उन्होंने प्रशाशनिक मसलो में राजनीती डालकर हिंदुत्व के आताताइयों को बचाया है. ऐसे में हिंदुत्व के सभी धुरंधर इस वक्त बडबोले हो गए हैं और उनका अहंकार सातवे आसमान पर है .
सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक न्याय की शक्तियों के सामने है ? वे कहाँ हैं और क्या कर रही हैं कुछ पता नहीं ? आज आरक्षण पर हमला है, जमीनों और जंगल पर हमला है और पूंजी और बाबाओ के गठबंधन ने ये हमला बोला है और हिंदुत्व के प्रहरी उसके सबसे बड़े एजेंट हैं. झूठ को बार बार दोहर्कार सच बनाने का षड़यंत्र और मीडिया के जरिये सूचनाओं पर नियंत्रण और उसका प्रवाह आज की सबसे बड़ी चुनौती हैं . इस चुनौती को स्वीकार करें और मात्र पिछड़ा या अपनी जाति का होने भर से गारंटी न ले क्योंकि उसकी विचारधारा और सामाजिक न्याय के प्रति उसकी निष्ठा और इतिहास को जरुर जाँच ले. मीडिया के जरिये हमें भुत को भूलने और केवल 'आर्थिक' नजरिये से चीजो को देखने की हिदायत मिल रही है क्योंकि पूंजीवादियों के कलम घसीट अब जनता को गुमराह करने में नेताओं से भी आगे निकल चुके हैं इसलिए ऐसे लोगो और अफवाहों से सावधान। हिंदुत्व का अजेंडा अफवाहों को फैलाकर दलित पिछडो, आदिवास्सियों और मुसलमानों में संदेह का वातावरण पैदा करना है. उन्हें इस कला में महारत हासिल है अब हमें देखना है के इन पुरातनपंथी दकियानूसी ताकतों का कैसे मुकाबला करें और वो लोकतंत्र में केवल वोट है. इसलिए २०१४ में हमें अपनी बातो को तक अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाए के धार्मिक कठमुल्ला किसी भी तरीके से संसद में बहुमत में न रहे. उन्हें छोड़ जिसकी सरकार बने मुझे कोई दुःख नहि. घिसी पिटी बने, मायावती, मुलायम, नितीश या किसी और की बने कोई बात नहीं। एक दो साल चले, कोई समस्या नहीं लेकिन ब्राह्मणवादी शातिर हिंदुत्व को हराना हमारा राष्ट्र धर्मं है.
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