Sunday 19 August 2012

हिंदुत्व के ठग आसाम के घटनाक्रम में राजनैतिक रोटियां सकने की तयारी शुरू कर दिए हैं. कल से बंगलोरे में हमारे कई मित्रो को फ़ोन पर मेसेज दिए गए के बंगलोरे छोड़ दो नहीं तो कुच्छ दिनों में मुसलमान आप पर हमला करेंगे. संघ के लोग उत्तर पूर्व के लोगो को बंगलोरे स्टेशन पर मदद कर रहे हैं. संघ का ऐसा दुह्मुहापन हमने बहुत देखा है.

आज देश संकट में है और असाम की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओ के चलते उसको समाधान करने की बजे हमरे राजनैतिक नेता लोगो की लाशो पर राजनीती कर रहे हैं. ऐसी घटनाओ को तुरंत रोकना होगा. असाम में जिसके भी साथ अन्याय हुआ उसको संपत करना हमारी रास्ट्रीय जिम्मेवारी है लेकिन पूरी समस्या का संप्रदायीकरण करके जो लोग रोटियाँ सेकने की तैयारी कर रहे हैं सरकार को उनसे निपटाना होगा. 

ये सच है के बंगाल्देशियों के नाम पर मुस्लिम समुदाय जुल्म का शिकार हुआ है लेकिन यह भी हकीकत है बोडो क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ है और आदिवासियों के प्रश्नों को आसानी से दरकिनार नहीं किया जा सकता. उन प्रश्नों पर देश के संसद को भाषण नहीं गंभीर चिंतन की जरुरत है. रास्ट्रीय एकता परिषद् की बैठक बुलाई जानी चाहिए ताकि असाम के प्रश्न को देश के दुसरे हिस्सों में फैलने से रोका जा सके.

यह समझने की जरुरत है के ऐसा क्यों हो रहा है. गत एक हफ्ते में बंगलोरे और हैदराबाद से लगभग ७ हज़ार लोग वापस उत्तरपूर्व में अपने राज्यों में जा चुके हैं. मेस्सेजेस के जरिये लोगो को बताया जा रहा है के मुसलमानों ने हमला किया है और रमजान ख़त्म होने के बाद हमले होने वाले हैं. ऐसी स्थितियों को समझना होगा. छोटी सभाओ में कई बार इमोशन का सहारा लेकर ऐसी बाते बोली जाती हैं जो हिंदुत्व के ध्वज़धारियों के बहुत काम आती हैं और उसका इस्तेमाल मीडिया के जरिये होता है.

बहुत समय से देश में दंगे नहीं हुए हैं. उनका एक अर्थशास्त्र और एक समाजशास्त्र है. राजनीती तो है ही. जब जब देश के दलित पिच्च्दे जगेनेंगे हिंदुत्व के यह मठाधीश दंगो का इस्तेमाल करेंगे. असाम का घटनाक्रम उनके २०१४ के चुनाव के लिए बहुत उपयुक्त है और इसलिए उस पर अभी से अमल शुरू हो गया है. ऐसी स्थिथि में नरेन्द्र मोदी को भी देश का एकमात्र नेता प्रस्तुत किया जाएगा जो मज़बूत है और 'घुश्पैथियों' से मुकाबला कर पायेगा. लच्छेदार भाषा और उसपर चरण पत्रकारों की टोली, बाकि क्या चाहिए देश को आग में धकेलने के लिए. वैसे भी यह सरकार कुच्छ नहीं करते यह केवल तमाशा देखती है. पहले से कार्यवाहीं करना इसका काम नहीं है.

असाम और उत्तर पूर्व के हमारे भाई बहिन हमारे देश के नागरिक है और उनकी हिफाजत करना हमारी सरकार और हमारा कर्त्तव्य है. उत्तर पूर्व के लोग पहले से ही हमारे समाज की जातीय मनुवादी मानसिकता का शिकार बने हैं. उन पर हमले हुए है और उनको एक विदेशी के तरह देखा जाता है. अपने देश के अंदर अपने देश के नागरिको के साथ ऐसा सलूक बर्दस्थ नहीं किया जा सकता. 

आज भारत के सेकुलर संविधान पर हमला है. सांप्रदायिक तकते इसको अपने हिसाब से इस्तेमाल करना चाहती है और देश की एकता और अखंडता को खत्म कर देना चाहते हैं. सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों का एक ही काम होना चाहिए के हिंदुत्व और संघ के छिपे हुए अजेंडे को पहचानने और उसका पर्दाफास करे. भारत इस वक़्त संघ के आतंकवाद का शिकार है और इसके संविधान को ख़ारिज करने की अलग अलग सियासी चलो को नेस्तनाबूद करना होगा. असाम की समस्या का तत्काल समाधान करने के प्रयास शुरू करने चाहिए और बंगलादेश की सरकार को भी इसमें शामिल करना चाहिए ताकि आरोपों और प्रत्यारोपो को मौका न मिले और ऐसे अफवाहे फ़ैलाने वाले अराजक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ताकि उस पर रोक लग सके. कर्नाटक में हो रही ऐसी घटनाओं पर प्रशाशन की असफलता से शक होता है के उनकी शाह ऐसे लोगो को रही होगी जो अफवाहे फैला रहे हैं. हैदराबाद से भी ऐसी सूचनाये मिल रहे हैं. सरकार इस सवाल को हवा में नहीं उड़ा सकते और राज्य सरकारों को चाहिए के वो उत्तर पूर्व के लोगो को पूर्ण सुरक्षा दे और अफवाहे फ़ैलाने वालो पर तुरंत कार्यवाही करे.



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